Clean Air Catalyst: इंदौर में 3 दिन की मीडिया कार्यशाला आयोजित, पत्रकारों को मिली पर्यावरण पत्रकारिता की ट्रेनिंग

Clean Air Catalyst। भारत में प्राचीन काल से ही पेड़ों को पूजा जाता रहा है। आज भी कई महिलाएं पेड़-पौधों की पूजा आराधना करती है। यह हम सभी जानते हैं कि धरती के पर्यावरण को संरक्षित रखने में पेड़-पौधों की अहम भूमिका होती है। भगवान कृष्ण ने भी गीता उपदेश में पेड़ों के महत्व बताते हुए कहा है –

                       पश्यैतान महाभागान् पराबैंकान्तजीवितान्।

                       वात वर्षीतप हिमान् सहन्तरे वारयन्ति न:।।

अर्थात् वृक्ष इतने महान होते है, जो सिर्फ परोपकार ही करते हैं। आंधी-तूफान,वर्षा को सहन कर हमारी रक्षा करते हैं। 

 

#CleanAirCatalyst@Internews Media Training Workshop in #Indore
Great discussions with journalists from #MadhyaPradesh on sources and impacts, creating understanding on underlying issues and story development on #AirPollution@USAID @EnvDefenseFund @WRIIndia pic.twitter.com/t5IwJXBnUH

— Azra Khan (@azrakhan87) May 9, 2022

इंदौर में 3 दिन चली कार्यशाला

बढ़ते प्रदूषण से हम पेड़-पौधों का महत्व समझ सकते हैं जो वायु को स्वच्छ बनाए रखने में खास भूमिका निभाते हैं। वायु को स्वच्छ बनाने वाले पेड़ काटे जाने के अलावा वायु में घुल रहा प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। आज वायु प्रदूषण के कारक और उपाय दोनों पर चर्चा होना ज़रूरी है क्योंकि वायु प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर भी गहरा असर हो रहा है और इसके प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है। समाज और आम लोगों को पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूक करने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। इसी के मद्देनजर 9 से 11 मई 2022 तक तीन दिवसीय  ‘Clean Air Catalyst’ मीडिया कार्यशाला इंदौर में आयोजित की गई थी। इस मीडिया कार्यशाला का आयोजन Internews-Earth Journalism के साथ ही USAID,  Environmental health defense fund के तत्वाधान में किया  गया था।

‘Clean Air Catalyst’ मीडिया कार्यशाला में पर्यावरण जैसे संवेदनशील विषय पर रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों को किन बातों की सावधानी रखनी चाहिए, इसके बारे में विषय विशेषज्ञों की ओर से विस्तृत जानकारी दी है। वायु प्रदूषण के वैज्ञानिक पहलू, स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम, आंकड़ों का संग्रहण, डाटा एनालिसिस आदि विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई। इसके अलावा पत्रकारों को वायु प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में फील्ड रिपोर्टिंग भी कराई गई।

तीन दिन तक चली कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार व पर्यावरणविद् अभिलाष खांडेकर और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के जानकार Kaushik Hazarika के व्याख्यान हुए। इसके अलावा Vital Strategies से जुड़े सौरभ पोरवाल ने भी पर्यावरण रिपोर्टिंग से संबंधित आवश्यक जानकारी शेयर की। इसके अलावा कौशिक हजारिका, जयदीप गुप्ता ने भी पर्यावरण रिपोर्टिंग में स्टोरी आइडिया पर अपने विचार रखे। इस कार्यशाला में कई शहरों के कई पत्रकार शामिल हुए।

कार्यशाला में ट्रेनर ने वायु प्रदूषण को लेकर कई अहम जानकारियां दी। इस कार्यशाला में बताया गया कि अभी तक पानी और कचरे के प्रदूषण के लिए काफी कार्य किया गया है, लेकिन वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता लाना बेहद जरूरी है क्योंकि खराब वायु भी कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे रही है। प्रदूषित हवा को मापने के लिए AQI जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे आसपास की प्रदूषित हवा का पता लगाया जा सकता है। इन उपकरणों से प्रदूषण को कम करने में सहायता मिल सकती है।

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