
Hybrid Car Vs Electric Car । देश में फिलहाल इलेक्ट्रिक कारों व व्हीकल्स का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है और पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण लोगों इनकी ओर ज्यादा आकर्षित भी हो रहे हैं, लेकिन साथ ही आजकल Hybrid Car की भी खूब चर्चा हो रही है और हर कोई यह जानना चाहता है कि Hybrid Car क्या होती है और यह किस तकनीक पर काम करती है और इसे खरीदना का अभी फायदा का सौदा हो सकता है। दरअसल हमारे देश में फिलहाल सभी कारें पेट्रोल, डीजल या CNG से चल रही है और अब कुछ कंपनियों ने अपनी इलेक्ट्रिक कारें भी लॉन्च कर दी है। ऐसे में यदि किसी कार को चलाने के लिए ईंधन के दो विकल्प मौजूद होती हैं तो उसे Hybrid Car कहा जाता है और हाल ही कुछ कंपनियों के कुछ हाइब्रिड कारों को की सफल लॉन्चिंग भी की है। जब किसी कार को दो प्रकार के ईंधन से चलाया जाता है तो उसे हाइब्रिड कार कहा जाता है। देश में फिलहाल जितनी भी कारें मौजूद हैं, उन्हें लिक्विड फ़्यूल के अलावा CNG से भी चलाया जा रहा है। लेकिन कुछ Hybrid Car में इलेक्ट्रिक मोटर फ़िट होती है जैसे किसी इलेक्ट्रिक व्हीकल में होती है। यह सुविधा मिलने पर व्हीकल्स को पेट्रोल या इलेक्ट्रिक दोनों मोड पर चलाया जा सकता है।
हाइब्रिड कार की ये है खासियत
वास्तव में हाइब्रिड कार में दो तरह के इंजन लगे होते हैं। Hybrid Car भी एक सामान्य कार होती है, लेकिन इसमें पेट्रोल या डीजल इंजन होने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक मोटर भी होती है और इस तकनीक को हाइब्रिड तकनीक कहा जाता है। Hybrid Car में दो इंजन वाली तकनीक का उपयोग किया जाता है। Hybrid Car का ईंधन खत्म होने पर इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से इन कारों को कुछ किमी तक चलाया जा सकता है। भारत में फिलहाल डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन वाली हाइब्रिक कार लॉन्च नहीं हुई है और संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही डीजल+इलेक्ट्रिक इंजन वाली हाइब्रिड कार उपलब्ध हो जाएगी।
तीन तरह की होती है हाइब्रिड कार
पैरेलल हाइब्रिड कार ( parallel hybrid car )
ये Hybrid Car ज्यादा लोकप्रिय हो रही है क्योंकि इन कारों को तीन तरह के अलग-अलग तरीके से चलाया जा सकता है। इन हाइब्रिड कारों को सीधे इंजन से या इलेक्ट्रिक मोटर से या दोनों की मदद से साथ में भी चलाया जा सकता है।
रेंज एक्सटेंडर हाइब्रिड कार (range extender hybrid car )
ऐसी हाइब्रिड कार अपने ट्रेडिशनल इंजन को जनरेटर से इलेक्ट्रिसिटी पैदा करने लिए उपयोग करता है। यह जनरेटर बैटरी को रिचार्ज करता है। कार का इंजन कार को कभी नहीं चलाता है, यह सिर्फ इलेक्ट्रिक मोटर के लिए ऊर्जा उत्पन्न करता है।
प्लग इन हाइब्रिड (plug in hybrid )
इस तरह की कारों को Charging Station से बैटरी को चार्ज किया जाता है। यह पारंपरिक Hybrid Car तथा Electric Vehicles के बीच में रखी गई है। प्लग इन हाइब्रिड में पारंपरिक इंजन भी होता है, लेकिन बैटरी का आकार Hybrid Car से बड़ा होता है।
भारत में ये है लोकप्रिय Hybrid Car
फिलहाल भारत में होंडा अकॉर्ड और टोयोटा कैमरी ही सबसे लोकप्रिय Hybrid Car है, लेकिन कीमत ज्यादा होने के कारण मिडल क्लास के लिए इसे खरीद पाना बेहद मुश्किल है। हालांकि मारुति सुजुकी ने मिडल क्लास फैमिली को ध्यान में रखते हुए सियाज और अर्टिगा में माइल्ड हाइब्रिड टेक्नोलॉजी देना शुरू किया है। माइल्ड हाइब्रिड टेक्नोलॉजी ट्रैफिक या रेड लाइट के दौरान कार का इंजन ऑन – ऑफ होने में मदद करता है, जिससे फ्यूल की खपत कम हो जाती है। यही कारण है कि मारुति की सियाज और अर्टिगा को पूरी तरह से हाइब्रिडृ कार नहीं माना जाता है।
Hybrid Car की कीमत
देश में फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चित Hybrid Car टोयोटा कैमरी हाइब्रिड की कीमत 35 – 37.22 लाख रुपए और होंडा अकॉर्ड हाइब्रिड की कीमत 43.24 लाख रुपए है। ये एक्स शोरूप प्राइज दिल्ली में है, देश के अन्य राज्यों में इनकी कीमत ज्यादा हो सकती है। वहीं लग्जरी सेगमेंट की बात की जाए तो लेक्सस की लगभग सभी गाड़ियां और वोल्वो की XC90 SUV भी हाइब्रिड टेक्नोलॉजी के साथ भारत में मौजूद हैं और इनकी कीमतें बहुत ज्यादा है।
Hybrid Car खरीदने का फायदा भी और नुकसान भी
Hybrid Car अभी अपने शुरुआती चरण में है और इसको लेकर कार विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। जानकारों को मानना है कि पेट्रोल या डीजल से चलने वाली कारों की तुलना में Hybrid Car में रनिंग कास्ट कम होती है लेकिन मेंटेनेंस कास्ट थोड़ा बढ़ जाता है। साथ ही Hybrid Car की ड्राइविंग रेज भी ज्यादा जाती है। Hybrid Car का सबसे बड़ा फायदा है कि बैटरी से चलने कारण इन कार से प्रदूषण कम होता है। Hybrid Car भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की तरह थोड़ी महंगी होती है।
Hybrid Car के सर्विस स्टेशन की समस्या ज्यादा
Hybrid Car काफी हाईटेक होती है और यह पर्यावरण के लिए काफी अच्छी होती हैं। फ्यूल लागत कम होने के कारण रनिंग कास्ट कम होती है। कई फायदे होने के बावजूद वर्तमान में इन कारों के साथ सबसे बड़ी समस्या वर्कशॉप या सर्विस स्टेशन की है। नई तकनीक होने के कारण किसी भी आम मैकेनिक इसकी रिपेयरिंग नहीं कर पाते हैं।
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