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Used Electric Cars in India: सेकंड हैंड इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

Electric Car Resale Value । देश में तेजी से इलेक्ट्रिकों का एक बड़ा बाजार तैयार हो रहा है। अर्थव्यवस्था के साथ पर्यावरण के भी अनुकूल होने के कारण अब कई कंपनियों ने Electric Vehicles के निर्माण में कदम बढ़ा दिए हैं। भविष्य में खनिज संसाधनों की कमी के साथ-साथ तेल संकट के कारण भी Electric Vehicle का निर्माण सबसे बेहतर उपाय है। Electric Vehicle में पेट्रोल गाड़ियों के मुकाबले प्रति किलोमीटर का खर्च बहुत कम आता है। Electric Vehicle की बिक्री बढ़ने के साथ ही Electric Car का Resale Market भी तैयार हो रहा है। Electric Car फिलहाल काफी महंगे हैं और कई लोग Second Hand Vehicles खरीदने पर भी विचार कर रहे हैं। यदि आप भी सेकंड हैंड इलेक्ट्रिक कार या बाइक खरीदने का विचार कर रहे हैं तो कुछ विशेष बातों की सावधानी रखें, वरना आगे चलकर मुसीबत में आ सकते हैं और लाखों रुपए की पूंजी फंस सकती है। आइए जानते हैं Second Hand Electric Vehicles खरीदते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए –

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Second Hand Electric Vehicles क्यों चुनें

यदि Second Hand Electric Vehicles खरीदना चाहते हैं तो क्या ये विचार सही है। ऐसा सवाल आपके मन में आना स्वाभाविक है। यदि आप Second Hand Electric Vehicles खरीदना चाहते हैं तो यह सेकंड हैंड पेट्रोल गाड़ियों की तुलना में सस्ती होती हैं। इसके अलावा Electric Vehicles प्रदूषण रहित होती हैं। यदि कोई इलेक्ट्रिक वाहन का मालिक अपनी कार बेचता है तो उसकी गाड़ी का कीमत 20 प्रतिशत कम हो जाती है। इसके अलावा मार्केट में भी अब एक से बढ़कर एक नई तकनीकों से भरपूर गाड़ियों की लॉन्चिंग हो रही है। ऐसे में कई वाहनों के मालिक इस ओर आकर्षित होकर अपनी पुरानी गाड़ियों को बेचना चाह रहे हैं। ऐसे में अच्छी कंडीशन में सेकंड हैंड गाडियां मिलने की बेहतर उम्मीद होती है।

Second Hand Electric Vehicles की बैटरी लाइफ

यदि Second Hand EV खरीदने जा रहे हैं तो उसकी बैटरी कितनी इस्तेमाल की गई है, इसकी पड़ताल भी जरूर कर लें। यदि बैटरी का उपयोग ज्यादा हुआ है तो बैटरी लाइफ कम हो सकती है इसलिए इनकी जांच जरूर करवाएं। Used Electric Vehicles की जांच भी उसी तरह करवाएं जैसे Used पेट्रोल गाड़ियों की जांच करवाते हैं। बैटरी की लाइफ चार्जिंग के टाइप, चार्जिंग फ्रीक्वेंसी आदि पर निर्भर करती है। बैटरी को फास्ट चार्जिंग करने से बैटरी फ्रीज़ हो सकती है। बैटरी अच्छी कंडीशन में तब ही रहती है जब इसे धीमी चार्जिंग पर लगाया जाता है। इसके अलावा बैटरी को अधिक बार चार्ज करने से भी बैटरी खराब होने का खतरा होता है।

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जरूर परखें Battery Size और रेंज

Second Hand Electric Vehicles खरीदते समय यह भी ध्यान रखें कि जो EV आप खरीद रहे हैं उस गाड़ी के बैटरी का आकार कितना है। बड़े आकार की बैटरी लंबी ड्राइविंग रेंज देती है। यदि बैटरी का आकार छोटा है तो यह बैटरी ज्यादा दूरी तय नहीं कर पाएगी। हालांकि इस बारे में अच्छे से पता लगाकर ही कोई Second Hand EV खरीदने पर विचार करें।

Battery Charging सुविधा है या नहीं

यदि आप सेकंड हैंड ईवी खरीद रहे हैं तो यह भी सुनिश्चित करें कि उस गाड़ी में यूज की कई बैटरी के लिए चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध है या नहीं। यदि बैटरी रिमूवेबल है तब तो ठीक है लेकिन यदि बैटरी व्हीकल में स्थायी तौर पर लगी है तो उसके लिए क्या समाधान है, इसकी जानकारी गाड़ी खरीदते समय जरूर लेना चाहिए। जो लोग लंबे सफर के लिए इस्तेमाल की गई EV खरीद रहे हैं तो उन गाड़ियों के लिए भी charging infrastructure की उपलब्धता के बारे में भी पता लगाना चाहिए।

Second Hand EV का मेटेनेंस खर्च

किसी भी Second Hand EV को खरीदते समय Cast of Ownership का भी ध्यान जरूर रखें। इसका मतलब ये है कि यदि आप पुरानी इलेक्ट्रिक कार या बाइक खरीद रहे हैं तो आपको हर माह या सालाना उसके Maintenance पर कितना खर्च आ सकता है। यदि किसी पुराने इलेक्ट्रिक व्हीकल का Cast of Ownership ज्यादा है तो इसे खरीदना घाटे का सौदा भी हो सकता है। केंद्र व राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए भी स्क्रैप पॉलिसी तैयार की है, जिसके तहत इसका रजिस्ट्रेशन भी 15 से 20 साल में समाप्त हो जाएगा। ऐसे में इसे ध्यान में रखते हुए भी Cast of Ownership का आकलन करते हुए पुराने वाहन खरीदना चाहिए।

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