Electric Vehicle Policy। देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल की ब्रिकी में तेजी आने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों ने Electric Vehicle Policy बना ली है और समय-समय पर ऑटोमोबाइल सेक्टर व यूजर्स की ओर से मिलने वाले सुझाव व मूल्यांकन के आधार पर इसे अपडेट भी किया जा रहा है। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर E-Vehicle Scrappage पॉलिसी क्या होगी और इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर क्या इसमें कोई बदलाव होगा। ऐसे में यदि आप भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए यह जान लेना बेहद जरूरी है कि नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के तहत आपके इलेक्ट्रिक वाहन की उम्र कितनी होगी। यानि आपके E-Vehicle का रजिस्ट्रेशन कब तक वैध होगा।
केंद्र सरकार ने नई स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत पेट्रोल वाहनों (Petrol Vehicles) के लिए 15 साल और डीजल वाहनों (Diesel Vehicles) के लिए अधिकतम 20 साल की समय-सीमा तय की है। नई स्क्रैप पॉलिसी में ये नियम है कि पेट्रोल व डीजल की क्रमश: 15 और 20 साल पुरानी गाड़ी को स्क्रैप में बदल दिया जाएगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर दिल्ली के पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) में सीनियर प्रोग्राम लीड हिमानी जैन का कहना है कि E-Vehicle Scrappage के नियम भी निर्धारित है। हिमानी जैन का कहना है कि किसी भी व्हीकल की फ्यूल टेक्नोलॉजी के आधार पर स्क्रैप पॉलिसी तैयार नहीं की जाती है, इसलिए E-Vehicle स्क्रैप करने के लिए प्रक्रिया भी दूसरे वाहनों के समान ही होगी। इस लिहाज से देखा जाए तो कमर्शियल E-Vehicle जैसे बसें, टैक्सी आदि भी 15 साल के बाद कबाड़ बन जाएगी।
– केंद्र सरकार ने Electric Vehicle Policy के तहत साल 2030 तक कुल कार एवं दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के 30 फीसदी की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है।
– देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) के लिए बेहतर इकोलॉजी तैयार करने के लिए ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान’ (National Electric Mobility Mission Plan- NEMMP) तैयार किया जा रहा है।
– इस प्लान के अलावा ‘फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक वाहन’ ( Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid &) Electric Vehicles in India-FAME India) जैसी पहल भी शुरू की गई है।
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देश में National Electric Mobility Mission Plan को साल 2013 में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। साथ ही इसका उद्देश्य राष्ट्रीय ईंधन संरक्षण प्राप्त करना भी है। इसके तहत साल 2020 के बाद हर वर्ष हाइब्रिड व Electric Vehicles की 6 से 7 मिलियन की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है।
Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid & Electric Vehicles in India योजना को हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट के अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत चार फोकस एरिया शामिल किए गए हैं –
प्रौद्योगिकी विकास (Manufacturing Ecosystem)
मांग निर्माण (Demand Creation)
पायलट परियोजनाएं (Pilot projects)
चार्ज बुनियादी ढाँचा (Charging Infrastructure)
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